कल्पना के भंवर में उलझ जाना नहीं,
सोंचते रहना अगली कश्ती को
समय को यूँ ही गवाना नहीं....शब्दों के जाल में फसना नहीं
भावनाओं के लहरों में बहना नहीं,
देखते रहना अपनी मंजिल को
बीच राह में रुक जाना नहीं....
रात के अँधेरे से डरना नहीं
मुश्किलों से घबराना नहीं,
बड़ते रहना सतत आगे
ऊँचे रास्तों पर डगमगाना नहीं....
हो जाएँगे तेरे सारे सपने पूरे
आकाश तक होगें तेरे हाथ,
धरती होगी कदमों में
और दूनिया कहेगी...
पहले आप...पहले आप........
nice
ReplyDeleteबेहतरीन!
ReplyDeleteशब्दों के जाल में फसना नहीं
ReplyDeleteभावनाओं के लहरों में बहना नहीं,
देखते रहना अपनी मंजिल को
बीच राह में रुक जाना नहीं....
बहुत सुन्दर और प्रेरणा देती रचना है बधाई
रात के अँधेरे से डरना नहीं
ReplyDeleteमुश्किलों से घबराना नहीं,
बड़ते रहना सतत आगे
ऊँचे रास्तों पर डगमगाना नहीं....
तभी कामयाबी भी मिलेगी, बहुत सुंदर कविता लिखी आप ने धन्यवाद
raj ji--bina nagan ke kuch bhi possible nahi hai.
ReplyDeletesuman, udan, nirmala ji aap sab ko bhi धन्यवाद blog per aane ki liye.
रचना बहुत सुन्दर है!
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