आओ-आओ नगाड़ा बजाओ
सबको बुलाओ मिठाई बाँटो
पंडित बुलाओ नामकरण कराओ,
घर में लाल आया है..... बड़ा होकर हमारे सपने करेगा पूरा
सब आओ जल्दी आओ
घर का चिराग आया है,
घर में लाल आया है....
आंसू पोछेगा बुड़ापे में
बुरे समय में हमारे साथ होगा
चार बहनों के बाद आया है,
घर में लाल आया है.... मिथ्या था सब, कोई नहीं आज
चला गया दूर, अकेले हैं हम
पहले आता था साल में चार बार घर,
अब तो चार साल में एक बार.... आँखे हैं की मानती नहीं
निहारती हैं पग हर पल
घर आ जाओ जल्दी से,
डाल जाओ मुहं में गंगा जल.... मिल लो आखरी वक़्त है
आखरी हैं सांसे
मन को हो जयेगी तस्सली की,
घर में लाल आया है...
घर में लाल आया है...
क्या लाल और क्या लाली...आज के युग का यही हाल है.
ReplyDeletesahi kaha aap ne
ReplyDeleteजीवन की आपाधापी में यही हो रहा है ।
ReplyDeleteभैया इस दुनिया में अब सब अकेले हैं। पहले एकान्त को तरसते थे और अब एकान्त से पीछा छुडाने का उपाय ढूंढते हैं।
ReplyDeleteतू तो मेरा कोई नहीं
ReplyDeleteफिर मेरे दिल का हाल
तुझे कैसे पता ?
बता दे अब तो
बस जल्दी बता ...
ada ji aap ke dil ka haal...?
ReplyDeletesabhi rachnaten bahut hai sundar hai -didi(Amita)
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