मुझे तो लगता है जिंदगी ही हास्य के लतीफों से भरी पड़ी है. जरुरत सिर्फ उसको समझने की है.
चलिए मैं आपको रेलगाड़ी की यात्रा कराता हूँ जिसमें आपको तरह-तरह के लोग मिलेगें और उनकी बातें किसी हास्य कवी की रचना से कम ना होगा...............
पहला चरित्र मोटे लाल--नाम मोटे लाल पर शरीर ऐसा की कोई भी उठा कर उन्हें खूंटी पर टांग दे
दूसरा चरित्र स्वामी नाथ--सिर्फ शराब और जुएँ का स्वामी
तीसरा चरित्र संगमलाल की अम्मा--नाम मुझे भी नहीं पता, असली नाम लोग भूल चुके थे
इस डिब्बे का चौथा और आखरी चरित्र पूराने--असली नाम जीतेन्द्र पर हाव-भाव पूराने होने के कारण, नाम पूराने पड़ गाया
(सावधान टिकट सिर्फ साधरण डिब्बे का मिला था, इसलिए मेरी सोच भी इन साधारण लोगों के आस पास ही भटक रही है)
रेलगाड़ी ने रेलवे स्टेशन छोड़ा ही था की इन लोगों की बातें शुरु हो गयी
(1)
अम्मा एक बात बोलूं, हाँ बोल स्वामी
रेल गाड़ी से अच्छा बस होत है
काहे स्वामी....
ई ससुर अगर कहीं लड़ जात तो एक माहीना उठावे मां लाग जात
लकिन अगर बस लड्त है, जुरतये क्रेन से उड़ जात
अब स्वामी तू चुप रहबो की नहीं, नाहक काहे लडावा चाहत हो रेलगाड़ी; मोटे लाल कुछ हलके अंदाज में बोला....
इतने में ट्रेन रुक गयी....
स्वामी फिर बोला, ये ट्रेन काहे रुक गयी ?
पूराने टपाक से बोला, लग रहा है ट्रेन का टायर पंचर हो गाया....
सही कहत हो पूराने, ई ससुर जब देखो तब रुक जात है...
वैसे एक बात है पूराने, कौउन सी बात...
इस बार हमार तो पूरा पैसा वसूल है, पिछली बार दुसरकी वाली गाड़ी तो बहुत जल्दी पंहुचा दिस रहा पर अबकी तो खुब आराम से चलत है, पैसा वसूल है खुब देर तक बैठेका मिली.
ई मोटे काफी देर से चुप है....अम्मा बोली
काहे कवनो परेशानी....हमार जोन मन करी हम वही करब....
गुस्सात काहे हो, पान खाबो....अच्छा लाओ तमाखू वाला है?
जानत हो, ई पान हमरे दूकान का है, पूरा खर्चा चलावत है ई पान हमरे घर का
अम्मा लकिन पान मस्त है.....
(2)
चाय वाले का प्रवेश हुआ डिब्बे में.........
चाय, चाय गरम......दो रुपये की मस्त चाय
सब एक चम्मच चीनी डारत हैं, हम दो मजा आ गाया
सब एक कप दूध डारत हैं, हम दो मजा आ गाया
सब फूँक के चाय की पत्ती डारत हैं हम दिल से, मजा आ गाया
तब तक मोटे से रहा नहीं गाया, बोल पड़ा..................
सब एक कप पानी डारत हैं, तुम १० मजा आ गाया
सही कहत हो मोटे, ससुर ने पिछली बार मुझे पानी पिला दिय
पूराने सबको चूतिया बनाता है इसने पूराने को बना दिया...........
एक बात है पूराने, का मोटे......
चाय तो आपन घर कय ही मजेदार होत है, पूरे दूध की चाय बनत है हमरे घर
मोटे ऊ तहार भैंस बच्चा दे दिहिस का....हाँ एक माहीना होत है
लकिन अबकी किस्मत साथ ना दिहिस....काहे
बछवा बियान, बछिया होत तो दो साल बाद बेंच देतन..
तौ इसमें किस्मत का काहे कोसत, ई तहार मर्जी तो रही नहीं
(लिखने को तो बहुत है लकिन आज इतना ही काफी)
Contiu...
तेज प्रताप सिंह `तेज´