(अंग्रेजी के शब्दों के लिए छमा).
आप सब का आशीर्वाद बना रहे यही मेरी कामना.
चलिए अब रेलगाड़ी की यात्रा शुरु करते हैं
(3)
कुछ देर बाद ट्रेन अगले स्टेशन पर जा कर रुक गयी. यात्री ट्रेन में चड़ने लगे जिसमें कुछ हिजड़े भी थे.
एक हिजड़ा पूराने के पास पहुँच गाया.....
अरे ये शारुख खान देता है पैसे की नहीं...ला दे दे चिकने...ला
भाग यहाँ से, मेरे पास नहीं हैं...
देता है या दिखाऊँ महाभारत......?????
अरे दे दे १० का नोट नहीं तो तू अभी गंगा नहा लेगा...मोटे बोला
ये देखो आमिर खान भी बोला, चल तू भी निकाल १० का नोट..हिजड़े नें मोटे के चेहरे पर हाथ फिराते हुए बोला.
इतने में अम्मा ने १० का नोट निकाल कर हिजड़े को थमा दिया....हिजड़ा चलता बना
ई देखो बढ़िया धंधा है....कमा लिया झट से १० का नोट..कोई काम भी नहीं करना पड़ा, स्वामी असहज होकर बोला.
हाँ तो अगली बार जब पैदा होना तो तू भी हिजड़ा बन जाना और छक्के पर छक्का मारना.
अम्मा बोली... काहे मोटे बिना वजह परेशान करत हो स्वामी का....फिर सब हंस पड़े.
लेकिन एक बात कहूँ अम्मा..क्या मोटे?
ई ससुर स्वामी जब देशी पी लेत है तो किसी हिजड़े से कम नाहीं लागत....
चुप रह मोटे अब तो हम अंग्रेजी दारू पिता हूँ, ऊ का नाम है उसका..हाँ जिसमें चिड़िया बनी है बोतल पर....ससुर किंगफिशर.
हाँ अब तो तू सही में अंग्रेजी होइए गए हो भाई.....पूराने थकी आवाज में बोला.
(4)हिजड़े उतरे नहीं की अगले स्टेशन पर कुछ झोला छाप बिक्रेता चढ़ गए.....
लीजिये १० रुपये में १० सामान...कंपनी का प्रचार है ...मुफ्त में सामान है
१० रुपये का टोकन है ...नंबर लगा तो १०० भी बन सकता है ....मौका मत जाने दीजिये...
का हो ई का १० रुपये में १०० ...सही कहत हो या चूतिया बनावत हो...पूराने की आवाज थी
१० रुपये टोकन १०० रुपये कमाए..जल्दी करिए ..अगले स्टेशन पर डिब्बा बदल देंगे ......
का अम्मा लगा दी १० का नोट...देखा जाई जोन होई...हम नाई जानित तू देख ले अपना पूराने....
अच्छा....भाई ये लो १० का नोट और टोकन दो....
अगले पल बिक्रेता ने टोकेन थमाये...पूराने चिल्ला पड़ा १०० लगा...लपक के १०० का नोट पकड़ा और जेब में डाल लिया.
अब और लोगों से रहा ना गाया..उसमें पूराने फिर से था.
सब ने १० रूपये का टोकन लिया पर इस बार पूराने ने १०० रुपये का.
नोट थमा कर सब बिक्रेता का मुहं देखने लगे.........सबके हाथ में अब टोकन था....
का हो स्वामी तहार लाग की नहीं..और मोटे तहार..
नहीं हमरो तो नाहीं लाग..अम्मा बोली.....
पूराने तहार...ससुर अबकी तो दसो टोकन खली है
लागत है अबकी सबका खाली है....हाँ जान तो यही पडत है.
धत तेरी की लूट लिहिस हम सब का...१०० मिला रहा वहो गाया, १० अलग से...
अगले पल सब चुप मार के बैठ गए और एक दूसरे का मुहं देखने लगे.
Conti...
तेज प्रताप सिंह 'तेज'
ये यात्रा तो बहुत ज़बरदस्त है.....बढ़िया ....
ReplyDeleteshubhkamnaye hamari bhi aap ko
ReplyDeleteshekhar kumawta
http://kavyawani.blogspot.com/\
yaatra to rochak hi hoti ja rahi hai....
ReplyDeletehttp://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
badhaiyan...
ऐसी यात्राएं लिखना सबको नसीब नही होता!
ReplyDeletesabhi ka dhanaywaad
ReplyDeletebahut-bahut badhai Tej.. :)
ReplyDeleteyatra vritant poora padh kar agle post par milta hoon. :)