मैं हूँ भारत माँ
तिरंगा लहराने आई हूँ |
सोये पड़े जंगी हथियारों में
फिर से धार लगाने आई हूँ ||
कहाँ गए वो वतन के प्यारे
मर मिटते थे जो एक हुंकार पर,
खा लेते थे गोली सीने पर
आकर जंगे मैदान पर....
उन्हीं वतन के प्यारों को
फिर जगाने आई हूँ...
और जो भूल गए हैं
कीमत पावन आजादी की....
उनको उखाड़ फ़ेंक,
फिर नया देश बसाने आई हूँ ||
मैं हूँ भारत माँ,
तिरंगा लहराने आई हूँ |
सोये पड़े जंगी हथियारों में,
फिर से धार लगाने आई हूँ ||
"तेज"
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete65वें स्वतन्त्रतादिवस की हार्दिक मंगलकामनाएँ!