आज हर कोई भ्रष्टाचार की बात कर रहा है, नयी क्रांति लाना चाहता है ऐसे में मुझे कुछ पक्तिंयाँ याद आ रही हैं .
लूटा है तुमने मुझे सर से लेकर पाँव तक
लाज न आई तुमको माँ को लूटते हुए,
जिसने तुम्हे अपनी गोद में सुलाया है
कम से कम उसके दूध का......
हक़ तो अदा कर दिया होता,
जिस माँ ने कभी तुम्हे रोते हुए पिलाया है
गैरों ने तो सिर्फ मेरा जेवर लूटा था
अपनों ने तो मेरी इज्जत पर हाथ डाला है
मेरी न सही उस बच्चे का......
ख्याल तो कर लिया होता,
जसने अभी-अभी मेरी चिता पर फूल डाला है
मौत तो मेरी आई है
पर जिन्दा तुम भी न रह पाओगे
जाग गयी है जनता सारी,
अब तुम सब इसकी सजा पाओगे
´तेज`
लूटा है तुमने मुझे सर से लेकर पाँव तक
लाज न आई तुमको माँ को लूटते हुए,
जिसने तुम्हे अपनी गोद में सुलाया है
कम से कम उसके दूध का......
हक़ तो अदा कर दिया होता,
जिस माँ ने कभी तुम्हे रोते हुए पिलाया है
गैरों ने तो सिर्फ मेरा जेवर लूटा था
अपनों ने तो मेरी इज्जत पर हाथ डाला है
मेरी न सही उस बच्चे का......
ख्याल तो कर लिया होता,
जसने अभी-अभी मेरी चिता पर फूल डाला है
मौत तो मेरी आई है
पर जिन्दा तुम भी न रह पाओगे
जाग गयी है जनता सारी,
अब तुम सब इसकी सजा पाओगे
´तेज`
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