आदमी अपने जीवन में ऐसे बहुत सारे आयामों से गुजरता है जहाँ वह अपने आप को अकेला पता है. कुछ इसी तरह आज प्रताप महशूश कर रहा है. ५ साल पहले जब उसने मेडिकल की तैयारी शुरु की थी तब उसे नहीं पता था की वह कभी ये दिन भी देखेगा पर प्रताप को देखना पड़ा, कारण उसे भी पता नहीं था.
लगातार प्रयास के बाद भी प्रताप का चयन एम. बी. बी. स मेडिकल प्रवेश परीछा में नहीं हुआ यह उसका ५ वां साल था. प्रताप ने जब मेडिकल प्रवेश की लिए तयारी शुरु की थी तब उसके हाथ में १० + २ डिग्री थी और आज भी वही डिग्री. ऐसा नहीं था की प्रताप पढने में होशियार नहीं था पर किस्मत में जो लिखा था वही हुआ. लगातार 4 वर्षों तक उसका चयन बी. च. एम्. एस और बी. वी. स. सी में हुआ पर जनरल कोटे में सीट कम होने से उसे एम. बी. बी. स नहीं मिल पा रहा था, कुछ, २-३ नंबर कम रह जा रहे थे. प्रताप ने एम. बी. बी. स करने के धुन में किसी में भी दाखिला नहीं लिया. यह उसका ५ साल था और उसने अपनी मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.
आज ही मेडिकल का रिजल्ट आने वाला था, प्रताप को उसका बेताबी से इंतज़ार था पर जब उसने सुबह अखबार देखा तो उसके होश उड़ गये. मेडिकल का रिजल्ट रोक दिया गाया था कारण पेपर लीक होने का मामला था. प्रताप को तो ऐसा लग रहा था जैसे की अभी वह धडाम से जमीन पर गिर पड़ेगा. वैसे पेपर लीक होना कोई नई बात नहीं थी पर इस बार पूराने सारे रिकॉर्ड टूट गये थे, ५०-५० हज़ार में कोचिंग वालों ने पेपर बेचे थे कुछ टेस्ट सिरीज के नाम पर तो कुछ गेस पेपर के नाम पर. अब कोई कितना भी मेहनत कर ले क्या फर्क पड़ता है चयन तो उन्ही का होगा जिनके पास ५० हजार हैं.
प्रताप बहुत टूट गाया था और उसमें कुछ भी सुनने और समझने की ताकत नहीं बची थी. मायूस होकर जब वह घर पहुंचा तो घर वाले उसे ही गली दे रहे थे की ५ साल से तयारी कर रहे थे तुम होना होता तो हो गाया होता अब आगे क्या करने का विचार है. सभी घर वालों ने उससे मुहं मोड़ लिया की कहीं ऐसा ना हो की प्रताप को फिर से एक साल के लिए पैसे देने पड़े. अब प्रताप इस मोड़ पर है की उसके पास सिर्फ १०+२ की डिग्री है जिसके बल पर उसे कहीं नौकरी नहीं मिल सकती.
यह कहानी कितने और लोगों की होगी कहना मुस्किल होगा पर इतना तो साफ़ है की आजाद भारत को एक बार फिर से आजाद होना होगा इन माफियाओं, सरगनों और दबंगों से...........
तेज प्रताप सिंह "तेज"
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