माँ बापू कहिन रहा हम तोका, दुलहा तोहरे पसंद का देबे।
तोहरे खुसी मां हम अपना, तन-मन न्योछावर कर देबे ।।
दिन तो अब पहाड़ लागत है
रात सुबह खातिर रोवत है
दिल-तराजू में तौले बिना उनका
प्यार अपनी कीमत वसूलत है।
मान राखेन हम समाज-परिवार का
पाथर रखकर तराजू में दिल हम तौलेन
खुशियाँ बनी रहे उनके उदास चेहरे पर
यही खातिर हम माँ बापू का कहा मानेन।
किस्मत का लिखा कौन मिटा सकत
जीजा जेका हम कहत रहेन
दिदी के मरन के २ महिना बाद
हम उनही से ब्याह रचा लिहेन।
माँ बापू कहिन रहा हम तोका, दुलहा तोहरे पसंद का देबे।
तोहरे खुसी मां हम अपना, तन-मन न्योछावर कर देबे ।।
'तेज'
अति सुंदर
ReplyDeleteTej bhaiya...desi andaaz me jo marm ki baat kahi wo dil ko chhoo gayi...samvedansheel aur marmik...sundar rachna...
ReplyDeleteआईये जानें … सफ़लता का मूल मंत्र।
ReplyDeleteआचार्य जी
माँ बापू कहिन रहा हम तोका, दुलहा तोहरे पसंद का देबे।
ReplyDeletebilkul sahi kaha hai babu ji ne..
यह क्षेत्रीय भाषा की एक उत्कृष्ट रचना है!
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