कैसे हो, कैसी कटती हैं रातें,
क्या खाया, गये थे कहाँ आज,
भूल से गये सारे सवाल उनको.........
पहले तो हर पल की खबर रखते थे,
हर पहलू में खोजा करते थे मुझको,
हर एक आहट पर सहम जाया करते थे......
उन्ही की सांसों में बसा करती थी मेरी सांसे,आँखों की पुतली में रौशनी बनकर रहते थे,
हुआ क्या जो वो रूठ गये मुझसे,
चले गये क्यों छोड़, मुझे मेरे इस हाल में.............
"तेज"
ओह!
ReplyDeletebahut khoob...
ReplyDeleteसुन्दर रचना!
ReplyDelete--
मंगलवार के साप्ताहिक काव्य मंच पर इसकी चर्चा लगा दी है!
http://charchamanch.blogspot.com/
dhnyawaad Sir Ji
ReplyDeleteसुंदर रचना जी धन्यवाद
ReplyDeletebhavpoorna rachana.........sundar
ReplyDeletebhavmayi rachna ...
ReplyDeletesundar rachna!
ReplyDelete