कुछ ना कहती मुझको मेरी ये जिंदगी ।
मेरे हर फैसलों पर मुहर लगाती जिंदगी ।।
कभी अकेले में लोगों को खोजती
कभी भीड़ में अकेली खडी जिंदगी,
ना जाने मुझमें क्या देख कर
मेरे हर फैसलों पर मुहर लगाती जिंदगी ।
थोडा और-और पाने की चाहत में
ना जाने क्या-क्या खोती जिंदगी,
सबसे आगे निकलने की चाहत में
मेरे हर फैसलों पर मुहर लगाती जिंदगी ।
जो कुछ हो गया वही सोचती
आने वाले पल से सजग जिंदगी,
सपनो को पूरा करने की ललक में
मेरे हर फैसलों पर मुहर लगाती जिंदगी ।