Thursday, September 22, 2011

प्रेम संबंधों का साइड इफेक्ट

जिस तरह से पश्चिम की सभ्यता हमारे समाज में अपना स्थान बना रही है उससे तो ऐसा लगता है की एक दिन हम अपनी सारी संस्कृति खुद अपने हाथों से लुटा देंगे | ख़ास कर मैं आपका ध्यान आज के युवा वर्ग की ओर ले जाना चाहता हूँ जहाँ प्यार एक सम्भोग बनकर रह गया है | कभी-कभी दोनों के परस्पर समझोते से तो कभी एक तरफे झुकाव की वजह से यह स्थिति उत्पन होती है | घर से बाहर रहकर पढाई करना और उसी दौरान पुरुष या महिला मित्र बना लेना जैसे एक आम बात हो गयी है | घर से दूर रहने के कारण अक्सर माता पिता को इसका पता नहीं लग पाता और अगर लग भी जाये तो प्रेमी युगल इसे यह कहकर पल्ला झाड लेते हैं की हम एक दुसरे से प्यार करते हैं या फिर की हम आप लोगों की तरह रूढिवादी नहीं हैं इत्यादी | इस सम्बन्ध का सबसे जादा असर महिलाओं पर पडता है जो पहले अपने निजी लाफ के लिए ये समझौता करती हैं पर जब समय हाथ से निकल जाता है तब पछताती हैं | डेटिंग करना पुरुष या महिला मित्र बना लेना और फिर समझौते से अलग हो जाना आज के दौर का नया फैशन है | कुछ सम्बन्ध विवाह का रूप भी ले लेते हैं पर इनकी संख्या कम है | 
कभी-कभी प्रेमी युगल एक दुसरे से शादी करने के लिए भी राज़ी होते हैं पर समाज और घर वालों के डर से कोई बात नहीं बन पाती, इनमें सबसे जादा असर उन संबंधो पर पड़ता है जो अंतर्जतिये होते हैं | कुछ सम्बन्ध ऐसे भी होते हैं जो वक्त के साथ छूट जाते हैं, अमूमन जब किसी एक को काम या पढाई के लिए एक से दूसरी जगह जाना पड़ता है | 
स्कूल और कॉलेज में सेक्स विडियो बनना भी इसी संस्कृति का असर है जो की आत्महत्या का या फिर होनौर किलिंग   का रूप लेती है | जो सबसे जादा महत्वपूर्ण बात है वो ये की आज कल जो शादियाँ शादी डोट कॉम के जरिये (सब नहीं) होती हैं वो इन्हीं प्रेम संबंधों का साइड इफेक्ट है | ५ से ६ साल तक प्रेम सम्बन्ध रखना भीर जब शादी की बात आई तो अलग हो जाना, शादी डोट कॉम पर प्रोफाइल लगाना और किसी और के साथ घर बसा लेना |
इस तरह की शादी का जो असर बाद में होता है उसकी चर्चा में अपने अगली कड़ी में करूँगा .........धन्यवाद 

डॉ तेज प्रताप सिंह 


Monday, August 29, 2011

नीलम

अगर आज दीपक से कोई ये पूछे की अन्ना हरे या जीते तो शायद उसके पास कोई जवाब ना होगा पर आजादी की इस दूसरी लडाई ने उसको कहीं का ना छोड़ा, बचा तो सिर्फ खालीपन पर भीगी आँखें | सुबह के १० बजे थे जब नीलम की तबियत खराब हुई, दर्द इतना बुरा था की उसको तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा |  
आपातकालीन विभाग में दाखिल करना पड़ेगा हालत कुछ ठीक नहीं है यह कहकर डॉक्टर ने दीपक को आगे की तरफ इशारा किया. दीपक ने भर्ती की सारी प्रक्रिया पूरी की और डॉक्टर के आने का इंतज़ार करने लगा | अगले पल डॉक्टर आये और रक्त और पेसाब की जांच लिखकर दोबारा आने को बोलकर चले गए |
नीलम की हालत और खराब हो रही थी वह रह-रह कर दीपक-दीपक कर रही थी, इतने में डॉक्टर जांच की रिपोर्ट लेकर अन्दर दाखिल हुए और दीपक को ई. सी. जी. कराने को बोलकर चले गए. दीपक को कुछ समझ नहीं आ रहा था की डॉक्टर ने ई. सी. जी. के लिए क्यों बोला है, खैर वह डॉक्टर के कहे अनुसार सारी प्रक्रिया से गुजरने लगा |
दिन के १२ बज थे जब उसे रिपोर्ट मिली...........रिपोर्ट लेकर वो सीधे डॉक्टर के पास गया .....
सर जी कोई घबराने वाली बात तो नहीं है, डॉक्टर थोड़ी देर चुप रहे फिर बोले बड़े डॉक्टर का इन्जार करिए वो आते ही होंगे राम लीला मैदान से | दीपक हाँ में हाँ मिलाकर नीलम के पास जाकर बैठ गया, इतने में एक दूसरा डॉक्टर आया और नीलम को देखने लगा, दीपक ने पूछा बड़े डॉक्टर कब आयेंगे...कोई जवाब ना आया |
उधर नीलम की तबियत और बिगड़ रही थी, दीपक भी रह-रह कर परेशान हो रहा था और भगवान् को याद कर रहा था पर बड़े डॉक्टर के आने की कोई खबर ना थी.
सहसा नीलम जोर-जोर से सांसे लेने लगी ऐसा लग रहा था मानों अभी उसकी सांसे छूट जाएगी, आनन्-फानन में पास खड़ी नर्स ने डॉक्टर को फ़ोन लगाया पर कुछ संतोष जनक उत्तर ना मिला, दीपक दौड़ कर डॉक्टर कच्छ में गया और मदत के लिए प्रार्थना करने लगा पर  डॉक्टर ने बोला ये हार्ट प्रोबलम का केस है मैं नहीं देख सकता आप को हार्ट स्पेस्लिस्ट (बड़े डॉक्टर) का इंतज़ार करना होगा | दीपक भागता हुआ नीलम के पास आया वो बेसुध पड़ी थी उसने हाथ हिलाया पर नीलम को कुछ महसूस ना हुआ वह भाग कर फिर से डॉक्टर के पास गया | 
डॉक्टर के आने के बाद दीपक ने जो कुछ भी अपने कानों से सुना उसपर वह विश्वास नहीं कर पा रहा था की उसके जीवन की नीलम इन्द्रलीन हो गयी है और अब कभी नहीं आएगी |
दीपक ने हिम्मत बांधा और किस्मत की दुहाई मंजूर करते हुए नीलम को सर उठा कर अपने पैरों पर रख लिया और फिर टूट कर रोने लगा |

अभी ही तो लिए थे फेरे अभी से क्यों गए,  
हुई क्या खता जो तुम मुझसे हुए इतने परे |
अब कौन मुझे अपनी जामुनी बाँहों में डालेगा,
और करेगा रक्तिम नीलमी बरसात आंचल तले |
  
थोड़ी देर बाद बड़े डॉक्टर भी आ गए पर अब कोई फ़ायदा ना था क्योंकि नीलम तो अब बेचमक होकर अपनी जलते दीपक में विहीन हो चुकी थी | दीपक भी अपना प्रकाश खोने को है, ऐसा लग रहा की मानों यहाँ से आज एक नहीं दो सांसे अपना पथ परिवर्तन करने वाली हैं |
दीपक ने भले ही आजादी की दूसरी लडाई राम लीला मैदान से ना लड़ी हो पर वो उस मैदान का गवाह जरूर बनेगा |

Monday, August 15, 2011

मैं हूँ भारत माँ
तिरंगा लहराने आई हूँ |
सोये पड़े जंगी हथियारों में
फिर से धार लगाने आई हूँ ||
कहाँ गए वो वतन के प्यारे 
मर मिटते थे जो एक हुंकार पर,
खा लेते थे गोली सीने पर
आकर जंगे मैदान पर....
उन्हीं वतन के प्यारों को 
फिर जगाने आई हूँ...
और जो भूल गए हैं 
कीमत पावन आजादी की....
उनको उखाड़ फ़ेंक,
फिर नया देश बसाने आई हूँ ||
मैं हूँ भारत माँ,
तिरंगा लहराने आई हूँ |
सोये पड़े जंगी हथियारों में,
फिर से धार लगाने आई हूँ ||

"तेज"

Tuesday, August 2, 2011

हमने देखी ना थी चंचलता उनकी इस अदा में,
जिसका ढाल बना वो मेरा दिल ले गए,
पहले तो हम कभी-कभी मरा करते थे,
आज तो वो मेरी हर सांस को ही कत्ल कर गए |   

आकर अपने बाजुओं में मुझे सुलाया करते थे,
जाते-जाते माथे पर हाथ भी फिरा दिया करते थे,
पर जबसे उन्होंने चुराया मेरा दिल इन अदायों से,
आना तो दूर गाहे बगाहे मेरा हाल भी पूछना भूल गए | 




"तेज"

Monday, August 1, 2011

सावन

सावन की इन बरसती बूंदों में,
संध्या स्पर्श में कुंठित सरस को तरसे,
सूरज तरसे लालिख लालिमा को,
भोर अपनी रात की ओस को तरसे,
दिन तरसे बादलों की अटखेलियाँ,
और, इन मिश्रित उमंगो की बहारों में,
मेरा पुष्पित मन तरसे पिया मिलन को| 

Tuesday, April 12, 2011

लूटा है तुमने

आज हर कोई भ्रष्टाचार की बात कर रहा है, नयी क्रांति लाना चाहता है ऐसे में मुझे कुछ पक्तिंयाँ याद आ रही हैं .

लूटा है तुमने मुझे सर से लेकर पाँव तक

लाज न आई तुमको माँ को लूटते हुए,
जिसने तुम्हे अपनी गोद में सुलाया है
कम से कम उसके दूध का......
हक़ तो अदा कर दिया होता,
जिस माँ ने कभी तुम्हे रोते हुए पिलाया है

गैरों ने तो सिर्फ मेरा जेवर लूटा था
अपनों ने तो मेरी इज्जत पर हाथ  डाला है
मेरी न सही उस बच्चे का......
ख्याल तो कर लिया होता,
जसने अभी-अभी मेरी चिता पर फूल डाला है

मौत तो मेरी आई है
पर जिन्दा तुम भी न रह पाओगे
जाग गयी है जनता सारी,
अब तुम सब इसकी सजा  पाओगे



 
´तेज`



Saturday, March 5, 2011

PhD हमें किस मोड़ पर ले आई

PhD हमें किस मोड़ पर ले आई 
दिल करे हाय कोई तो बताये आगे क्या होगा भाई,

याद नहीं ठीक से कब खाना खाया था मैंने 
पता नहीं सोया कब था रात में पूरी नींद 
रात और दिन में अब कोई फर्क नहीं शायीं
PhD हमें किस मोड़ पर ले आई। 

हर समय लैब के एक कोने में बैठा रहता हूँ 
कभी blot तो कभी pubmed में खोया रहता हूँ 
कितने ही blot लगा डाले पर वो band नजर नहीं आई
PhD हमें किस मोड़ पर ले आई 

जब देखो तब पड़ता रहता हूँ research पेपर खोज के
ढूड़ता रहता हूँ की कभी कहीं कुछ नया idea मिल जाये 
नया तो मिला नहीं पर किसी ने मेरे idea की वाट लगाई
PhD हमें किस मोड़ पर ले आई।

पूरा तन-मन लगा कर यह सोच कर काम करता हूँ 
की इस बार बॉस को दिखाने लायक अच्छा data आ जाये
पर जब analysis लिया तो P-value significant नहीं आई 
PhD हमें किस मोड़ पर ले आई

कोई कहता उसका experiment अच्छा कोई कहता उसका 
मुझे तो सारे ही experiment एक जैसे ही लगते हैं
काम कर गया तो वाह-वाह  नहीं तो दुहाई
PhD हमें किस मोड़ पर ले आई

जिंदगी हर दिन हर एक पल तनहा गुजर रही है अब तो यार
पहले तो कभी-कभी पिक्चर या बाहर घूम कर आते थे
पर अब तो सपनों में भी gfriend की जगह thesis नजर आई
PhD हमें किस मोड़ पर ले आई

अपने से दास साल कम उम्र वाले भी अब तो settle हो गए
लोगों ने भी कहना शुरु कर दिया पढाई कब ख़तम होगी
मैं क्या बोलूं उनको क्यों मैंने research में जान फसाई
PhD हमें किस मोड़ पर ले आई

PhD हमें किस मोड़ पर ले आई 
दिल करे हाय कोई तो बताये आगे क्या होगा भाई,

conti....
Dr. Tej Pratap Singh

Sunday, January 9, 2011

मुन्नी का झंडू बाम....

अंतररास्ट्रीय मिडिया में आयी ये रिपोर्ट की अगर भारत में आज लोक सभा के चुनाव हो जाएँ तो कांग्रेस पार्टी को हार का मुहं देखना पड़ेगा. इतना ही नहीं शायद कांग्रेस के बड़े नेता भी चुनाव हार सकते हैं. ये इसलिए क्योंकि देश की जनता भ्रस्टाचार और महंगाई से तंग आ चुकी है. कांग्रेस पार्टी और मनमोहन सिंह का ये वादा की अगर हम दुबारा सत्ता में आये तो १०० दिन के अन्दर देश बदल देंगे, अब तक देश तो बदल ना पाया पर वादा जरूर बदल गाया. पहले कलमाड़ी जी ने खेल करा कर लूटा फिर राजा ने २ जी का खेल कर डाला, अभी ये खेल खत्म नहीं हुए थे की सिटी बैंक भी इसी कतार में आ गाया. और अब आगे-आगे देखिये होता है क्या....
मुन्नी बदनाम हुई डार्लिंग तेरे लिये, कांग्रेस पार्टी बदनाम हुई भ्रस्टाचार में आके<<<<<दोनों बदनाम हुये झंडू बाम लगा के..... 


भ्रस्टाचार का ही नमूना है की छोटे शहरों की हालत गंदे नालों की तरह हो गयी है की कोई भी मूत के चला जाता है. जिला अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में अगर आप चले जाएँ तो शयद ही आप को वहां भीड़ के अतरिक्त और कुछ दिख जाये, डॉक्टर तो आते नहीं जो आते हैं वो मरीज को अपने क्लिनिक पर रिफर करके चले जाते हैं. ऐसा लग रहा है हर कोई लूटने में पड़ा है किसी को भी देश की नहीं पड़ी है. अब भाई जब सरकार ही भ्रस्टाचार में लिप्त होगी तो आम आदमी क्या करेगा उसको भी जहाँ मिलेगा नोंचेगा.

लोग भी क्या करें भ्रस्टाचार का एक घाव भरता नहीं की दूसरा हो जाता है, फिर तीसरा.....चौथा.....इतने घाव एक साथ तो कोई नहीं सह पायेगा...इलाज तो करेगा ही ना. अब यही वो समय है जब देश की जनता को इसका इलाज करना है.
और कुछ इसी तरह का इलाज उत्तर प्रदेश भी मांग रहा है जहाँ हर कोई एक दूसरे की लेने पर तुला हुआ है, कितने करोंड में कौन सी सीट बिकनी है किसे किस छेत्र का वोट काटना है, जातीय समीकरण क्या हैं और कहाँ से से कितना लूटा जा सकता है, इसी में सरकार का सारा ध्यान है. बिहार ने तो अपने दर्द का इलाज कर लिया अब उत्तर प्रदेश की बारी है. अब अगर इस प्रदेश के लोगों से इतना भी नहीं हो सकता तो फिर एक एक ही विकल्प है, मुन्नी का झंडू बाम....

Sunday, January 2, 2011

जब में कहीं रूठ जायूं तो मुझे मना लेना

जब में कहीं रूठ जायूं तो मुझे मना लेना
 
घी से भरे दीपक को जला के रखना 
अपने हाथों के सहारे रोके रखना लौ को,
कितनी भी अंधी आये मुझे बुझने ना देना
जब में कहीं रूठ जायूं तो मुझे मना लेना,

प्यार के हर एक बाण को बचा के रखना
धनुस पर लगा कर रखना तरकश को,
कितनी भी मुश्किल आये मुझे टूटने ना देना
जब में कहीं रूठ जायूं तो मुझे मना लेना,

आँखों की पलकों पर मुझे बिठा कर रखना 
उतरने ना देना कभी मेरे इन आसुओं को,
कितनी भी धुंध छाये मुझे रोने ना देना
जब में कहीं रूठ जायूं तो मुझे मना लेना, 

जब में कहीं रूठ जायूं तो मुझे मना लेना

Saturday, January 1, 2011

आओ खुशियाँ हम मिलकर सजायें

आओ खुशियाँ हम मिलकर सजायें,
दिन जो रूठ गये हैं उन्हें फिर से मनायें,

कहीं किसी उपरी मंजिल से
देखता होगा सूरज...
पिछले साल पुती दीवारों पर 
सूखता होगा मोरंग...
आओ उन्हीं दीवारों पर 
एक और नया रंग लगायें....
रिश्ते जो टूट गये हैं 
उन्हें एक बार फिर से मनायें,

हर आदमीं जैसे कहीं किसी 
धुन में चला जा रहा है...
जीवन के गुड को बिना खाये 
ख़ामोश जीये जा रहा है...
आओ दिनों दिन की बढती 
ख़ामोशी को फिर से मिटायें...
सपने जो पीछे छूट गये हैं 
उन्हें एक बार फिर से सजायें,

आओ खुशियाँ हम मिलकर सजायें,
दिन जो रूठ गये हैं उन्हें फिर से मनायें,

नव वर्ष मंगल मय हो 
`तेज`