Tuesday, October 19, 2010

चाहता हूँ,..........तेज`

अपनी आँखों में उनकी सूरत उतारना चाहता हूँ,
बंद पड़ी किताब को फिर से खोलना चाहता हूँ,
पन्ने जो छूट गये थे बिना पढ़े,  
उन्हीं को आज फिर से पलटना चाहता हूँ । 


उनके प्यार की झांकी फिर से देखना चाहता हूँ,
दिल में बने घर को फिर से खोलना चाहता हूँ,
रंगोली जो छूट गयी थी बिना रंगों के,
उन्ही को आज फिर से सजाना चाहता हूँ । 


उनकी नाजुक अदाओं में खुद को डुबोना चाहता हूँ,
नुक्कड़ पर बनी मधुशाला फिर से खोलना चाहता हूँ,
कहीं बीत ना जाये जवानी के ये पल,
इसी डर से मुहब्बत का एक और घूँट पीना चाहता हूँ । 

`तेज`

3 comments:

  1. Bahut sundar kamana! Badee kashish is rachaname!

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  2. नुक्कड़ पर बनी मधुशाला फिर से खोलना चाहता हूँ,
    कहीं बीत ना जाये जवानी के ये पल,
    इसी डर से मुहब्बत का एक और घूँट पीना चाहता हूँ ।
    best lines...
    bahut hi pyaari rachna...

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