Thursday, August 5, 2010

मेहनताना

रानी के बाबू जी दो महीना पहले ही सेना कि सेवा पूरी कर के आये थे. हर समय उन्हें रानी की शादी और अधूरा बना घर चिंता में डुबा देती थी. सवाल ये उठता है कि क्या सेना में इतना भी मेहनताना नहीं मिलता कि वो अपना घर बनाकर बेटी कि शादी कर सकें? जो देश के लिए अपना सर लिए घुमते हैं उनके पास ही सर छूपाने के लिए जगह नहीं होती...सवाल बहुत छोड़ा है पर जवाब शायद किसी कि पास नहीं है.
चिंता के इन्हीं कारणों ने सूबेदार राम सिंह को जल्दी पैसा बनाने के लिए मजबूर किया और वो बिना सोचे समझे जिले में एक ६ महीने पहले खुली ट्रेडिंग कंपनी में पैसा लगा दिया. कंपनी शेर बाजार में पैसा लगा कर पैसा बनाती थी. राम सिंह ने अपनी जिंदगी कि बची-कुची पूँजी कंपनी में लगा कर इस बात का इंतज़ार करने लगे कि १ साल बाद उन्हें इसका दुगना मिल जायेगा और वो अपने सारे काम आसानी से पूरा कर सकेंगे.
राम सिंह ने रानी कि शादी खोजना भी शुरु कर दिया......
बाबू जी मैं शादी नहीं करुँगी..मुझे आप के साथ ही रहना है 
बेटी शादी तो करनी ही है, मुझे पता है कि तू मुझसे बहुत प्यार करती है पर मैं भी तो तुझसे उतना ही करता हूँ .
चलो बताओ इनमें से कोन सी फोटो तुम को सब से जादा पसंद है.
आप देख लो बाबू जी मुझे तो सब एक जैसे ही लगते हैं........!!!
हाँ अब तेरी पसंद भी तो देखनी पड़ेगी ना कि तुझे कौन पसंद है...अब अगर तेरी माँ आज हम लोगों के बीच होतीं तो ये फैसला भी उनके ऊपर छोड़ देते.. 
इतने में फ़ोन की घंटी बजी.....
हेलो...आप राम सिंह बोल रहे हैं 
हाँ कहिये .....
वो शादी के बारें में बात करनी थी, कल हम लोग लड़की से मिलने आ रहे हैं अगर आप को कोई एतराज ना हो तो.
अरे इसमें एतराज करने वाली कोन सी बात है....आप लोग कल आ सकते हैं 
रानी देखो कल तुमको एक लड़के वाले देखने आ रहे हैं तुम को कोई एतराज तो नहीं है.
नहीं बाबू जी ठीक है.............
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सुबह-सुबह दरवाजे की घंटी बजी, लोग आ चुके थे रानी को देखने. लड़के वालों ने सबसे पहले लड़की से मिलने की इच्छा जताई, रानी का जैसे कमरे में प्रवेश हुआ सबकी आँखे उसके चेहरे की और दौड़ पड़ीं. रानी सचमुच रूप की रानी थी कोई भी अपनी नजर ना हटा सका उसके चेहरे से, ऐसा लगा जैसे रानी किसी बच्चे की मासूमियत छुपाये शर्म के पालने में झूल रही हो.
रानी एक ही नजर में सबको पसंद आ गयी.....
अगले ही पल लड़के के माँ ने पूछा मेरा बेटा कैसा लगा?
रानी ने हाँ कर दिया.........अब क्या था जैसे ही रानी ने हाँ कहा शादी के बात पक्की होने लगी.
राम सिंह ने भगवान को धन्यवाद दिया और दिवार पर लगी रानी के माँ की तस्वीर देखने लगे.
थोड़ी देर बाद लड़के वाले अपने घर आने का नेवता देकर वापस चले गये.
रात के ९ बजे थे की राम सिंह का फ़ोन एक बार फिर बजा....
हेलो..मैं राहुल बोल रहा हूँ 
कौन राहुल????
वही जिसने आप का पैसा ट्रेडिंग कंपनी में लगवाया था.
हाँ...क्या हुआ ?
एक बुरी खबर है ......कंपनी भाग गयी 
क्या....होश में तो हो की तुम क्या कह रहे हो.
हाँ मैं सच बोले रहा हूँ........
राम सिंह के पैर के नीचे से जमीन खिसकी और वह धडाम से गिर पड़ा 
रानी को कुछ समझ में नहीं आया की अचानक क्या हो गया...दौड़ कर अन्दर से पानी लायी और राम सिंह को पिलाने लगी.
राम सिंह थोडा समहला और एक लम्बी गहरी साँस लेकर रानी को सब कुछ बता दिया. रानी भी पहले थोडा दुखी हुई पर अगले ही पल हंसकर बोली कोई बात नहीं बाबू जी हम फिर कमा लेंगे. इससे जादा रानी क्या बोलती उसे भी पता था की अब बहुत सारी परेशानिया एक साथ आने वाली थीं जिसमें उसकी शादी भी थी.
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इस भीड़ में सिर्फ राम सिंह ही नहीं था और भी बहुत से लोग थे जिनके सपने टूटे थे. राम सिंह अब अपनी किश्मत कोसता हा फिर सरकार जिसको हम चुनकर भेजते हैं. अब राम सिंह भी क्या करता काफी बड़े लोगों का नाम जुड़े होने के कारण जिसमें जिले के बड़े नेता और पोलिश महकमे के लोग भी थे, उसके कंपनी पर जल्दी विश्वास करने का कारण बनी थी.
राम सिंह मन ही मन सोंच रहा था कि इस देश की सरकार कब सुधरेगी और कब ऐसे लोगों पर लगाम कसेगी जो अपनी मनमानी करते फिर रहे हैं. 
राम सिंह देश के बाहर के दुश्मनों से तो जंग जीत गाया था पर देश के अन्दर हार गाया.

तेज प्रताप सिंह `तेज` 

3 comments:

  1. बहुत ही मार्मिक कथा!
    सीधे मन पर असर कर गई!

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  2. आज ऐसे ही न जाने कितने राम सिंह धोखे का शिकार बनाते हैं ...अच्छी कथा

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