Tuesday, June 8, 2010

माँ बापू कहिन रहा हम तोका, दुलहा तोहरे पसंद का देबे.....'तेज'

माँ बापू कहिन रहा हम तोका, दुलहा तोहरे पसंद का देबे।
तोहरे खुसी मां हम अपना, तन-मन न्योछावर कर देबे ।।

दिन तो अब पहाड़ लागत है 
रात सुबह खातिर रोवत है
दिल-तराजू में तौले बिना उनका 
प्यार अपनी कीमत वसूलत है।

मान राखेन हम समाज-परिवार का 
पाथर रखकर तराजू में दिल हम तौलेन
खुशियाँ बनी रहे उनके उदास चेहरे पर 
यही खातिर हम माँ बापू का कहा मानेन।

किस्मत का लिखा कौन मिटा सकत
जीजा जेका हम कहत रहेन
दिदी के मरन के २ महिना बाद
हम उनही से ब्याह रचा लिहेन।

माँ बापू कहिन रहा हम तोका, दुलहा तोहरे पसंद का देबे।
तोहरे खुसी मां हम अपना, तन-मन न्योछावर कर देबे ।।










'तेज'

Friday, June 4, 2010

सफेदी............'तेज'

दिल में लगे खरोंचों को 
यादों में जिन्दा दागों को
सिराहने पड़े सपनों को
पोंछ दो मेरी इस सफेदी में 

लम्बी होती इन दोपहरी को  
सामने लिखी उधारी को 
उनकी दी हुई हर निशानी को 
पोंछ दो मेरी इस सफेदी में

अब ना आयेंगे वो दुबारा 
इन सफेदी में सिन्दूर भरने 
ना ही मेरी भूरी आँखों में 
अपनी सूरत दिन-रात देखने  

'तेज'
(चित्र साभार गूगल)