Sunday, April 18, 2010

चलिए यात्रा आगे शुरु करते हैं ..

चलिए यात्रा आगे शुरु करते हैं ..
(5)
दे दे बाबा भूखे को कुछ दे दे. जोड़ी सलामत रहे. दो दिन से कुछ खाया नहीं..दे बाबा 
यार मोटे अब ये कौन सी बला आ गयी. ससुर चैन से साँस भी नहीं लेने देवत.
हाँ...ससुर जैयेसे झपकी लागत है कोई ना कोई टपक परत है.
सही कहत हो पूराने ससुर जीना हराम कर दिया है.......
साहब आपकी जेब सलामत रहे..किसी की नजर ना लगे ...दो दिन से कुछ खाया नहीं 
भाग यहाँ से क्यों मेरा जान खा रह है ...किसी और को पकड़ 
दे दे ना १ रुपये ...इतने में का चला जाइए तहार...अम्मा बोली...
पूराने ने जेब में हाथ डाला ५० का नोट था..टूटा नहीं है मेरे पास..
कितना है साहब दे दो हम टूटा करे देत हैं...१००, ५० कितने का नोट है 
ई देखो ससुर ५० का टूटा भी है इसके पास, भाई भीख तो हमको मांगनी चाहिए 
हाँ पूराने ससुर के पास तुमसे जादा नोट है..टूटा भी दे रहा है तुमको 
साहब गुस्सा काहे होत हो, ई सब हमरे मेहनत की कमाई है....
मेहनत की कमाई बतावत हो तुम ईका. ससुर हमरी कमाई तेरी मेहनत कैसे हुई 
ठीक साहब ना देना हो तो ना दो पर उल्टा-सीधा सुनने की हमार आदत ना है 
छोड़ जाने दे मुहं ना लग इनके, अम्मा बोली 
अगले पल भिखारी चलता बना......
और एक बार फिर लोग एक दूसरे का मुंह देखने लगे
(6)
अगले स्टेशन पर ट्रेन रुकी कुछ लोग और चढ़ गए 
भाई साहब थोडा जगह देना बैठने को, अगले स्टेशन पर उतर जाऊंगा 
अरे कहीं और देख लो यहाँ पहले से ही चार लोग बैठे है...स्वामी बोला 
लेकिन मुझे तो तीन ही दिख रहे हैं, आप तो चार बता रहे हो 
हाँ गाया है ना एक पानी लेने अभी आता होगा 
ठीक है जब वो आयेगा, मैं उठ जाऊंगा.......
काहे जिद करत हो कहित है ना कहीं और देख लो 
ये तो हद कर दी है आप ने लगता है चारों लोगों ने मिलकर पूरी ट्रेन खरीद ली है 
अब बहुत हो गाया..चलते बनो वरना....वरना क्या, क्या कर लोगे 
तब तक मोटे पानी लेकर आ गाया. देखो हैं ना चार, आँख फाड़ कर देख लो...
हाँ-हाँ ठीक है, पता है तुम राजा हरिस्चंद्र की औलाद हो..यह कहकर वो चलता बना 
मोटे बैठ कर पानी पिने लगा..तभी स्वामी चिल्लाया हाउ मेरी जेब कट गयी....
का कहत हो जेब कट गयी..हाँ लगता है वही आदमी ले गाया मेरी जेब 
वो देख बाहर ससुर उन भिखारियों के साथ खड़ा है....
अब बुझिल हमका काहे उ भिखारी कहिस रहा 
साहब आपकी जेब सलामत रहे..किसी की नजर ना लगे.....
ई रहा उ का प्लान, लई गाया तेरा जेब...कितना गवा 
१०० का नोट झटक कर लई गवा.....
सत्यानास हो उनका सब लूटे मां लगे हैं..अम्मा बोली 
Conti....
तेज प्रताप सिंह 'तेज'

7 comments:

  1. ha ha ha...maza baandh rahe ho bhaiya....aage ka intezar....

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  2. yahi to khaas baat hai is yatra ki....

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  3. मै इन नकली भिखरियो को पास नही फ़टकने देता, एक साल पहले हरिदुवार मै भिखारियो को पेसे दे रहा था, एक भिखारी कॊ ५० पेसे दिये वो मेरे मुंह पर मार कर चला... तो मेने उसे रोका ओर उस के कटोरे से सारे पेसे निकाल कर दुसरे भिखारियो को दे दिये.... ओर वो मुझे देखता रह गया....

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  4. hahaha..........rochak ghatna..Raaj ji

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  5. mazedar... Raj sir ne bhi achchha prasang sunaya..

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  6. बहुत रोचक यात्रा हैं!

    क्रम बनाए रखें!

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  7. मस्त...जारी रहिये!!

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