Tuesday, February 23, 2010

सखी अबकी हमहूँ खेलब होली,

सखी अबकी हमहूँ खेलब होली
लाल, पिला, गुलाबी सब डारब
आवत हैं पिया...
अबकी नहीं छोड़ब उनका 
पूरे ४ बरस परदेश मां रहली 
सखी अबकी हमहूँ खेलब होली,

अम्मां, बाऊ सब ताकत उनका 
बिटिया तो घरमा नाहीं आवत 
जीजी और देवर बहुत खुश हैली 
सखी अबकी हमहूँ खेलब होली

कहिन रहा अबकी साड़ी देबय तोका
बाहर सिनेमा भी लयीजाब.....
घर में पक्का फर्श भी लगवईली
सखी अबकी हमहूँ खेलब होली

काहे जात पिया परदेश 
दोई पैसा कम मिलत इहाँ
पर घर मां रहत खुशहाली
सखी अबकी हमहूँ खेलब होली

2 comments:

  1. बढ़िया है..खेलिये

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  2. अम्मां, बाऊ सब ताकत उनका
    बिटिया तो घरमा नाहीं आवत
    जीजी और देवर बहुत खुश हैली
    सखी अबकी हमहूँ खेलब होली
    Bahut khoob!
    Holee kee anek shubhkamnayen!

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